बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्र बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 दर्शनशास्त्र
प्रश्न- रामानुज के अनुसार मोक्ष व उनके साधनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मोक्ष किसे कहते हैं?
अथवा
मोक्ष क्या है? रामानुज के अनुसार व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
मोक्ष
जीव बन्धनों में जकड़ा रहता है तथा बन्धन से मुक्त होने पर वह मोक्ष को प्राप्त करता है। बन्धन में रहकर वह संसार के चक्र से मुक्त नहीं है। मोक्ष की प्राप्ति अज्ञान को दूर करके ही हो सकती है। अविद्या से अज्ञान होता है तथा अविद्या से व्यक्ति का चित्त वासनाओं में उलझा रहता है। सतत् प्रार्थना, स्मृति, नमस्कार, पूजा, प्रयत्न, ईश्वर के नाम का भजन, उसके गुणों को सुनना, उसका कीर्तन करना, ईश्वर का ध्यान करना मोक्ष के लिए आवश्यक है। बन्ध और मोक्ष दोनों ईश्वर की इच्छा पर निर्भर करते हैं, जो अनादि अविद्या के कारण किये जाने वाले कर्मों से युक्त होता है। भक्ति, ध्यान और कर्म का अशुद्ध होना भी ईश्वर की इच्छा पर ही निर्भर करता है। मोक्ष की अवस्था में ब्रह्म से साम्य हो जाता है। मोक्ष में आत्मा अपने अहंकार को त्यागकर ब्रह्म में लीन हो जाती है। रामानुज के मोक्ष सम्बन्धी विचार ईश्वरवाद पर आधारित हैं। मोक्ष से तात्पर्य जीवात्मा का बिल्कुल शून्य में विलीन हो जाना ही मोक्ष है। इसका अर्थ बाधाओं से मुक्त होकर स्वतंत्रता प्राप्त करना है। जीवात्मा के विलीन होने को तिरोभाव कहते हैं परन्तु तिरोभाव को मानने के लिए आत्मा को नश्वर मानना पड़ेगा, जो सम्भव नहीं है। रामानुज के अनुसार, मुक्त आत्मा को ज्ञान अन्तर्दृष्टि के द्वारा मिलता है। मुक्ति या मोक्ष की अवस्था में आत्माएँ अणु के आकार ग्रहण कर लेती हैं तथा आत्मा के सर्वश्रेष्ठ रूप में ईश्वर सर्वव्यापक है। वह सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञाता है। मोक्ष की अवस्था में अणु के समान होने पर भी आत्मा कई शरीरों में प्रवेश कर जाती है। अपने मोक्ष विचारों को रामानुज ने ब्रह्म साक्षात्कार की उस कल्पना को निराधार बताया है जिसमें अपने पूर्ण अस्तित्व को समाप्त करके ब्रह्म में लीन होने की बात कही जाती है।
रामानुज के अनुसार ब्रह्मलीनता का साक्षी मिलना असम्भव है क्योंकि जो मनुष्य ईश्वरत्व को प्राप्त कर चुका, वह वापस लौटकर हमें अपना अनुभव बतायेगा नहीं। जो मनुष्य ऐसी बात करेगा उसने कभी ब्रह्म को प्राप्त नहीं किया होगा। ईश्वर अपने प्रसाद के रूप में आत्मा को मोक्ष देता है तथा जीव को जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देता है।"
मोक्ष के साधन
रामानुज के अनुसार मोक्ष का परम साधन भक्ति है। भक्ति का उदय कर्म व ज्ञान द्वारा होता है। कर्म का अर्थ है वेदों में बदलता हुआ कर्मकाण्ड अर्थात् वर्णाश्रम के अनुसार नित्य व नैमित्तिक कर्म। स्वर्गादि की कामना बिना कर्त्तव्य बद्ध से इसका आचरण करने से ज्ञान की प्राप्ति में बाधक पुनर्जन्म के संस्कार दूर जाते हैं। इसलिए कर्मों का आजीवन आचरण करना चाहिए। इन कर्मों को विधिपूर्वक करने से मीमांसा दर्शन का अध्ययन अनिवार्य है। रामानुज के अनुसार, वेदान्त के अध्ययन से साधक जगत का वास्तविक ज्ञान होता है उसे यह बोध होता है कि वह शरीर से भिन्न आत्मा है और इस प्रकार ईश्वर का अंश है जो अन्तर्यामी है। इस ज्ञान से साधक को यह अनुभव हो जाता है कि मुक्ति केवल अध्ययन और तर्क से नहीं बल्कि ईश्वर की करुणा से मिलती है।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन का अर्थ बताइये व भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- भारतीय दर्शन की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि क्या है तथा भारत के कुछ प्रमुख दार्शनिक सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं? भारतीय दर्शन का अर्थ एवं सामान्य विशेषतायें बताइये।
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- प्रश्न- क्या भारतीय दर्शन जीवन जगत के प्रति निराशावादी दृष्टिकोण अपनाता है? विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन की सामान्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में भारतीय तथा पाश्चात्य दृष्टिकोणों की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन किसे कहते हैं? चार्वाक दर्शन में प्रमाण पर विचार दीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में तत्व सम्बन्धी बातों पर निबन्ध लिखिये।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के ईश्वर सम्बन्धी विचार दीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में प्रमाण विचारों का अर्थ बताइए तथा साधनों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिये।
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- प्रश्न- चार्वाक के भौतिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- चार्वाक की तत्व मीमांसा का स्वरूप क्या है?
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- प्रश्न- चार्वाक दर्शन का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
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- प्रश्न- ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के प्रत्यक्ष प्रमाण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन के आत्मा सम्बन्धी विचार दीजिए।
- प्रश्न- सुख प्राप्ति ही जीवन का अन्तिम उद्देश्य है। बताइये।
- प्रश्न- चार्वाक के ज्ञान सिद्धांत की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "चार्वाक की तत्वमीमांसा उसकी ज्ञान मीमांसा पर आधारित है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन महावीर के जीवन वृत्त तथा शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में जैन धर्म के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन में स्याद्वाद किसे कहते हैं?
- प्रश्न- जैन दर्शन के सात वाक्य भंगीनय लिखिए।
- प्रश्न- सात वाक्यों का आलोचनात्मक दृष्टिकोण से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैनों के बन्धन तथा मोक्ष सम्बन्धी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार द्रव्य का परिचय दीजिये।
- प्रश्न- द्रव्य के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- द्रव्य को आकृति द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जीव अथवा आत्मा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अजीव द्रव्य क्या है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन में जीव का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- जैन दर्शन के द्रव्य सिद्धान्त की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैन धर्म के पतन के कारण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म व बौद्ध धर्म में समानताओं और असमानताओं का तुलनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- जैन धर्म की शिक्षाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- पुद्गल किसे कहते हैं?
- प्रश्न- जैन नीतिशास्त्र और धर्म पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जैन धर्म के पाँच महाव्रत बताइए।
- प्रश्न- जैन धर्म के प्रमुख सम्प्रदाय बताइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का सामान्य स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- सांख्य की 'प्रकृति' तथा वेदान्त की 'माया' के बीच सम्बन्ध की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गौतम बुद्ध के जीवन एवं उपदेशों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के उत्थान व पतन के क्या कारण थे? समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में बौद्ध धर्म का योगदान बताइये।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन से क्या आशय है?
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बुद्ध ने कौन से दुःख के कारणों के चक्र बताए? बौद्ध दर्शन के तृतीय आर्य सत्य की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म पर लेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के चार सम्प्रदाय लिखिए।
- प्रश्न- क्षणिकवाद का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के महत्त्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अनुसार निर्वाण प्राप्ति के अष्टांगिक मार्ग की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निर्वाण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- बौद्ध संगीतियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाजनपदों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति को बौद्ध धर्म की क्या देन थी?
- प्रश्न- क्या बौद्ध दर्शन निराशावादी है?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सत्, रज और तम गुण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रकृति के गुणों के क्या परिणाम होते हैं?
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के अनुसार सत्कार्यवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के तत्व सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृति तथा पुरुष का अर्थ तथा सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- ज्ञानेन्द्रियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पुरुष के स्वरूप की व्याख्या कीजिए। पुरुष के अस्तित्व के लिए सांख्य द्वारा दिये गये तर्कों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- सांख्य ज्ञानमीमांसा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन के पुरुष की अनेकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन से क्या तात्पर्य है? समझाइये।
- प्रश्न- पंतजलि ने योग सूत्रों को कितने भागों में बाँटा?
- प्रश्न- योग दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन के अभ्यास के अंग कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन में तीन मार्ग कौन से हैं?
- प्रश्न- योग के अष्टांग साधन बताइए।
- प्रश्न- योगांग किसे कहते हैं?
- प्रश्न- योग दर्शन के पाँच नियमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- योग' से आप क्या समझते हैं? योग साधना के विभिन्न सोपानों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन में ईश्वर के स्वरूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- योग दर्शन में ईश्वर के स्वरूप की विवेचना कीजिए तथा उसके अस्तित्व को सिद्ध करने सम्बन्धी प्रमाणों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैराग्य क्या है? इसकी भेदों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन से ईश्वर किन रूपों में कार्य करता है।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण लिखिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन की भूमिका प्रस्तुत कीजिए तथा न्यायशास्त्र का महत्त्व बताइये? तथा न्यायशास्त्र का प्रमाण शास्त्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमाण शास्त्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तर्कशास्त्र में हेत्वाभास के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन के अनुसार अनुमान' के स्वरूप और प्रकारो की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- उपमान प्रमाण के स्वरूप का विवेचन करते हुए इसकी परिभाषा दीजिए।
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- प्रश्न- अनुमान क्या है? परमार्थानुमान व स्मार्थानुमान को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष प्रमाण का स्वरूप क्या है?
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- प्रश्न- न्यायदर्शन में उपमान प्रमाण का क्या स्वरूप है? न्याय दर्शन में उपमान प्रमाण का स्वरूप
- प्रश्न- चार्वाक दर्शन में अनुमान प्रमाण का खंडन किस प्रकार करता है?
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- प्रश्न- प्रमा और अप्रमा के भेद को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- न्याय दर्शन में कितने प्रमाण स्वीकार किए गए हैं? सभी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समानतन्त्र के रूप में न्याय वैशेषिक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन के पदार्थों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
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- प्रश्न- सामान्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विशेष किसे कहते हैं? लिखिए।
- प्रश्न- समवाय किसे कहते हैं?
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में अभाव क्या है?
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन क्या है? न्याय दर्शन और वैशेषिक दर्शन में आपस में क्या सम्बन्ध है? वैशेषिक दर्शन में सात प्रकार के पदार्थ बताइए।
- प्रश्न- व्याप्ति क्या है? व्याप्ति की स्थापना किस प्रकार होती है?
- प्रश्न- 'गुण' और 'कर्म' पदार्थों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैशेषिक दर्शन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक दर्शन के स्वरूप पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- न्याय-वैशेषिक दर्शन में अनुमान का क्या स्वरूप है?
- प्रश्न- समानतन्त्र के रूप में न्याय वैशेषिक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संयोग और समवाय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीमांसा से क्या तात्पर्य है इसे भली-भाँति समझाइये।
- प्रश्न- पूर्व मीमांसा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मीमांसा दर्शन में ज्ञान के कितने साधन माने गये हैं?
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- प्रश्न- अर्थापत्ति किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अनुपलब्धि या अभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- मीमांसा के तत्व विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मीमांसकों ने 'आत्मा' का क्या स्वरूप बतलाया है?
- प्रश्न- शंकराचार्य ने ब्रह्म के कितने स्वरूपों की व्याख्या की है?
- प्रश्न- ब्रह्म और माया क्या है?
- प्रश्न- ब्रह्म और जीव क्या हैं?
- प्रश्न- माया में कितनी शक्तियों का समावेश है?
- प्रश्न- "ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या" शंकर के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? शंकर के ब्रह्म और जगत सम्बन्धी विचारों के सन्दर्भ में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अद्वैत दर्शन में जीव के बंधन और मोक्ष पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रभाकर मत में अख्यातिवाद क्या है? और यह किस प्रकार भट्ट मत के विपरीत ख्यातिवाद से भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शंकर का अद्वैत वेदान्त क्या है?
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त में निर्गुण ब्रह्म और सगुण ब्रह्म में क्या भेद बताया गया है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शंकर के 'ईश्वर' विचार की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- जीव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- शंकर के अद्वैतवाद तथा रामानुज के विशिष्ट द्वैतवाद में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन किसे कहते हैं? शंकर के वेदान्त दर्शन की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- रामानुज शंकर के मायावाद का किस प्रकार खण्डन करते हैं?
- प्रश्न- शंकर की ज्ञान मीमांसा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शंकर के ईश्वर विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माया क्या है? माया सिद्धान्त की रामानुज द्वारा दी गई आलोचना का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रामानुज के विशिष्टाद्वैत वेदान्त से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रामानुज के अनुसार ब्रह्म क्या है? ईश्वर व ब्रह्म में भेद बताइए।
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- प्रश्न- जीवात्मा के भेदों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- रामानुज के अनुसार ज्ञान के साधन क्या हैं?
- प्रश्न- रामानुज के 'जीव सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- रामानुज के जगत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट द्वैत दर्शन की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चित् व अचित् तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- बन्धन और मोक्ष क्या है?
- प्रश्न- चित्त क्या है?